नीमच। मालवा की मंडियों में प्याज की बंपर आवक शुरू हो चुकी है. नया प्याज मंडी में आने से प्याज के भाव इस बार धड़ाम हो गए हैं. खासकर बे मौसम हुई बरसात में भीगे हुए और हल्की गुणवत्ता वाले प्याज का कोई खरीददार ही नहीं मिल रहा है. वहीं, प्याज का न्यूनतम मूल्य 100 रुपए प्रति क्विंटल तक लगाया जा रहा है. नई कृषि उपज मंडी नीमच में प्याजों के भाव की पड़ताल की तो देखने में साफ तौर पर आ रहा है कि प्याज को लेकर किसान खून के आंसू रो रहे हैं उनका यह कहना है कि जो पैसा हमको यहां पर प्याज का मिला है बल्कि उससे ज्यादा तो लग गया है ।
महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और उत्तर भारत के कुछ इलाकों में प्याज उत्पादन इस बार ज्यादा हुआ है, लेकिन मांग कम रहने और निर्यात में कमी के कारण किसान अपनी मेहनत का सही दाम नहीं पा रहे हैं. जिस वजह से किसानों से लेकर आम उपभोक्ताओं तक की चिंता बढ़ा दी है हालात ऐसे बन गए हैं कि एक मंडी में प्याज सिर्फ 1 प्रति किलो के भाव पर बिकने को मजबूर हो गया. यह गिरावट अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है, जिससे किसान भारी नुकसान और मायूसी झेल रहे हैं.
किसानों का प्याज के भाव को लेकर कहना है किसानों को आस थी कि इससे पहले के सीजन में थोड़े अच्छे भाव मिले थे अभी जो भाव चल रहे हैं आज ₹1 किलो से लेकर कुछ ढेर 10 और ₹11 किलो 11 के अंदर-अंदर बिके हैं इस भाव में किसान की लागत तक नहीं निकल रही है और जो कुछ ढेर मैंने देखे ₹1 किलो बिके हैं जबकि दो से ₹3 किलो तो किसान के कटाई का खर्चा आ रहा है तो यह बहुत ज्यादा घाटे का सौदा है और किसान आर्थिक तंगी जो झेल रहा है इससे उस पे और अधिक आर्थिक भार पड़ रहा है आज जो स्थिति है दाम को लेकर उससे किसानों का जीना दुश्वार हो रहा है
मैं डूंगला से आया हूं डंगला से राजस्थान हां राजस्थान से तो डिस्ट्रिक्ट आपका प्याज क्या भाव बिका है प्याज मेरा ₹1.5 किलो बिका ₹1.5 किलो हां और 7000 मैंने भाड़ा दिया है 7000 कितना प्याज लाए थे मैं कम से कम आठ क्विंटल प्याज लेके आया हूं ₹8 यानी हिसाब बराबर हां हिसाब बराबर क्या खाने का पैसा ही नहीं है अब तो यह देख लो अगर इस इसी हिसाब से तो खाने का पैसा भी नहीं रहा है गाड़ी वाला को भी पूर्ति नहीं हुई तो अब क्या करूंगा मैं भाड़े का पैसा भी नहीं है तो अब खाने का पैसा भी नहीं है अब क्या करेंगे कम से कम यह तो होना ही चाहिए ना ज्यादा नहीं तो ₹25 ₹20 किलो तो होना ही चाहिए तो किसान की पूर्ति हो अब कटाई का पैसा तो गया एमएलए का पैसा गया और हमारा भी गया कुछ नहीं नील बैलेंस है आए और घूम के चले जाओ यही छोड़ के और मेहनत कितने टाइम लगी है मेहनत तो देख लो एक महीने से मेहनत कर रहे हैं कम से कम ₹18,000 निकालने में लगा दिया हमने निकालने में हां और ₹7000 बड़ा कर दिया और बोने वगैरह में कितना टाइम लगा बोने में कम से कम 15 दिन तक बोए कम से कम 10-25 मजदूर लगाए महीने की 5 महीने की मेहनत रही खेत से निकाले सपरे में डाले वहां से कटिंग करी फिर घर डाले फिर कट्टे भरे फिर यहां लेके आए और यहां पे ₹1.5 किलो आया अब क्या बताएं और किसान क्या करें रोए तो भले ही अब क्या करें हम।